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आज कोरोना वायरस (SARS COV-2 ) विश्वव्यापी महामारी बन चुका है और लगभग 200 देशों में फैल चुका है। जब में यह लेख लिख रहा हूँ तब तक पूरे विश्व में लगभग सवा दो करोड़ के आसपास लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। यह वायरस आनुवंशिक रूप से 2002 में आये SARS का ज्यादा विकसित प्रकार है, SARS के कारण भी 2002 में लगभग साढ़े आठ हज़ार (8437) लोग संक्रमित हुए थे और 813 लोगों की मृत्यु हुई थी। चूँकि SARS मई माह से शुरू हुआ था और  जुलाई के अंत तक तापमान बढ़ने से खुद ही निष्क्रिय हो गया था। चूँकि कोरोना वायरस आनुवंशिक रूप से ज्यादा विकसित प्रकार है SARS का तो बहुत से वैज्ञानिकों ने यह सोचा था की जिस तरह गर्मियों के आने पे SARS स्वतः ही खत्म हो गया था उसी तरह कोरोना भी खत्म हो जाएगा। आज पूरे विश्व में कोरोना वायरस के कारण करोड़ों लोगों का रोज़गार खत्म हो चुका है , बहुत से छोटे बड़े व्यवसाय या तो बंद हो चुके  हैं या उन्हें बहुत बड़ी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा है , समस्त विश्व की अर्थव्यवस्था डगमगा चुकी है और सब लोग भय और आशंका में जी रहे है। कोरोना वायरस की तकनीकी जानकारी जानने से पहले हमें इस के मूल के बारे में जानना पड़ेगा। 

2019 के अंत में चीन ने WHO को जानकारी दी की वुहान (WUHAN) शहर के एक नागरिक में अलग तरह के वायरस का पता चला है। चीन के हवाले से जो खबर इंटरनेट और न्यूज़ पर है उससे हमें  यह पता चलता है कि जब चीन के वैज्ञानिकों ने इस वायरस के डीएनए (DNA) का विश्लेषण किया तो उन्हें पता चला कि यह वायरस आनुवंशिक रूप से SARS का विकसित प्रकार है और वहीँ से इसका वैज्ञानिक नाम SARS COV-2 पड़ा। वायरस के डीएनए के विश्लेषण के दौरान वैज्ञानिकों को पता चला की यह वायरस एक कांटेदार गेंद की तरह है जहाँ पर केंद्र में स्थित डीएनए नाभिक (nucleus) को वसा ने घेरा हुआ है और इस घेरे पर प्रोटीन की कीलें निकली हुई हैं और वायरस की यह संरचना दिखने में कुछ हद तक हमारे सूरज की सबसे बाहरी भाग कोरोना (corona) की तरह है जिस कारण इस वायरस को आम बोल चाल भाषा में कोरोना वायरस कहा जाने लगा। लेकिन जैसे जैसे समय बढ़ता गया वुहान में अनेक लोगों में इस वायरस के संक्रमण को पाया गया और देखते ही देखते दिसंबर माह के अंत तक वुहान में हज़ारों लोग इस संक्रमण का शिकार हो गए। शुरुआती दिनों में वायरस के बारे में कम जानकारी होने के कारण , प्रकाशन और चिकित्सा विभाग ने इस की और ज्यादा ध्यान नहीं दिया और जब संक्रमण हज़ारों लोगों में फैल गया, चीन से बाहर दूसरे देशों तक पहुंच गया तब जाके विश्व स्वास्थ्य संघ (WHO) ने इसे विश्वव्यापी महामारी घोषित किया। और तब पूरी विश्व ने इसकी गंभीरता को समझा तो विश्व में वायरस से संबंधित काम करने वाली लगभग हर प्रयोगशाला में इस वायरस पर शोध किया जाने लगा और जहाँ से हमें इस वायरस के बारे में बहुत ही गूढ़ बातों का पता चला।

सारे विश्व के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस को समझने में बहुत योगदान दिया है और दे रहे हैं। शोध द्वारा हमें पता चला की चमगादड़ में दो सौ (200) के लगभग कोरोना वायरस के प्रकार पाए जाते हैं और इन्ही चमगादड़ के कारण यह वायरस किसी दूसरे जानवर पांगुलिन (PANGULINE) में गया और उसका खाद्य सेवन करने के बाद यह वायरस मनुष्यों में प्रवेश कर पाया और इसका संक्रमण शुरू हो पाया। शोध के परिणाम स्वरूप हमें पता चला कि कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण सामान्य जुकाम की तरह हैं जैसे हल्का शरीर का तापमान बढ़ना , नाक बहना ,छींक आना इत्यादि। हालिया शोध में हमें पता चला की जिन लोगों में इसका संक्रमण ज्यादा है और जिनकी हालत इसके कारण नाज़ुक हो हो रही है उनके लक्षणों में बहुत ज्यादा गंध का पता न लगना , खाद्य वस्तुओं के स्वाद में कमी आना भी शामिल है। शोध और शुरूआती चिकित्सा जांच के बाद पता चला की जो लोग स्वस्थ हैं उनमें इसके लक्षण नहीं दिखते और उनके शरीर में यदि कोरोना वायरस प्रवेश कर चुका है तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस को खत्म कर देती है। हमने रोगियों की जांच और शोध में पाया कि जो रोगी पहले से किसी बीमारी का शिकार है जैसे उच्च रक्तचाप , फेफड़ों के रोग, मधुमेह, गुर्दों (kindey) की दिक्कत , दिल के रोग इत्यादि है,उन लोगों को यह वायरस गंभीर रूप से बीमार कर रहा है और बहुत से ऐसे लोगों के शरीर के कई अंग खराब हो जा रहे हैं और जिसके कारण उन सब का निधन हो रहा है । कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जो बीमारी लोगों को हो रही है उसका नाम शोधकर्ताओं द्वारा दिया गया कोविद-19 (COVID -19).

विज्ञान ने हमें बताया कि जब कोरोना वायरस मनुष्य शरीर में प्रवेश करता है तो यह वायरस खून में जाके मिल जाता है। खून में जहाँ पर ऑक्सीजन को मिलना चाहिए और पूरे शरीर में ऑक्सीजन खून के माध्यम से पहुंचनी चाहिए , यह वायरस खून में ठीक उसी जगह मिल कर ऑक्सीजन को खून में मिलने से रोकता है और जिस के कारण पूरे शरीर में सामान्य रूप से ऑक्सीजन नहीं पहुँचती। ऑक्सीजन की कमी के कारण बहुत से रोगियों का निधन हुआ है, दिल का दौरा पड़ा, शरीर के कई अंग एक साथ खराब हो गए इत्यादि। जब हमें कोरोना वायरस की संरचना का पता चल गया , इसके हमला करने की प्रणाली का पता चल गया तो तुरंत विज्ञान ने अपना अगला पग आगे बढ़ा कर इसके स्थाई उपचार हेतु वेक्सीन बनाने का काम शुरू कर दिया। आज जब में यह लेख लिख रहा हूँ तब तक तीन वैक्सीन बन चुकी है और उनका प्रशिक्षण अंतिम चरण में है और उम्मीद यह है कि इस वर्ष के अंत तक यह वैक्सीन पूरी तरह से आम लोगों तक पहुँचाई जा सकेगी। विज्ञान ने हमें कोरोना वायरस की संरचना और इसकी हमला करने की प्रणाली के बारे में बताया और इसकी मदद से आज भले ही हमारे पास इसकी कोई सटीक वैक्सीन नहीं है पर हम अलग अलग तरह के लक्षणों को ठीक करने वाले विकल्पों का उपयोग करके अधिकतर लोगों की जान बचाने में सक्षम हो रहे है। विज्ञान के ही कारण इस वायरस से मरने वालों की दर दो प्रतिशत (2 %) से भी कम है। 

यदि हम बात करें कोरोना वायरस से लड़ने में भौतिकी के योगदान की तो यह कहना गलत नहीं होगा की इसका योगदान अविस्मरणीय है। वायरस की संरचना को समझने के लिए जिन तकनीकों का उपयोग किया जाता है और किया गया है जैसे X-RAY Diffraction , synchrotron  आदि ये सब तकनीकें भौतिकी की ही देन है। इन्ही तकनीकों की मदद से हम कोरोना वायरस और अन्य प्रोटीन और वायरस की संरचना समझने में सक्षम हुए हैं। रोगियों के उपचार में जो वेंटीलेटर संजीविनी का काम कर रहे है वे भौतिकी के नियमों पे काम करते हैं और उन्ही पर इनका निर्माण हुआ है। भौतिकविदों ने जब कोरोना वायरस के हवा में बहने का अध्ययन किया तो पाया कि यह वायरस हमारी छींक की बूंदों के कारण सबसे तेज फैलता है, कफ और जोर से बात करने के दौरान भी यह वायरस हवा में बहता हुआ दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। भौतिकी के नियमों के अनुसार जब वायरस का अध्ययन किया गया तो हमें पता चला की यह वायरस सबसे तेज और दूर तक मनुष्य छींक से जा सकता है और संक्रमित कर सकता है। तरल यांत्रिकी (fluid mechanics) का उपयोग करके वैज्ञानिकों ने इसका ये सब अध्ययन किया और इसके छींक द्वारा बहाव की दूरी छह फुट पाई गयी, और तभी से सोशल डिस्टन्सिंग (Social Distancing) को दुनिया भर की सरकारों ने और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक महत्वपूर्ण निवारक उपाय माना और सभी नागरिकों को  पालन करने की सख्त हिदायत दी। आज बहुत से शोध करता नैनोटेक्नोलाजी की मदद कोरोना वायरस को शरीर के अंदर खत्म करने के उपायों में लगे हुए है। जहाँ पर नैनोपार्टिकल को कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के खून में डाला जाएगा और यह नैनो पार्टिकल वायरस के साथ जुड़ जाएगा और  उसके बाद बाहर से हल्की विद्युत चुम्बकीय तरंगों की मदद से हम  वायरस को ख़तम कर पाएंगे। अभी इस प्रणाली के साथ अनेक समस्याएं निहित हैं पर भविष्य में यह प्रणाली हमें अनेक बिमारियों के इलाज प्रदान करेगी। यहाँ हमने देखा की भौतिकी कोरोना वायरस से निपटने में एक अहम भूमिका निभा रही है। 

आज हमारे पास कोरोना वायरस का कोई सटीक उपचार नहीं है और इसके कारण समस्त विश्व परेशान है। जब तक इस वायरस का उपचार नहीं मिल जाता तब तक हमें यह समाजिक दूरी बनाई रखनी होगी,मास्क का उपयोग करना होगा, बार बार हाथ धोने होंगे और स्वस्थ जीवन शैली को सदा के लिए अपनाना चाहिए। इस वायरस से हमें यह सीख लेनी होगी कि विश्व में सबसे कीमती चीज़ मनुष्य का स्वास्थ्य है इसलिए हमें शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए एक बेहतर जीवन शैली को अपनाना पड़ेगा जिसमें नित्य व्ययाम , पौष्टिक भोजन शामिल होंगे। और हमें यह भी सीखने की ज़रुरत है कि हम इस पृथ्वी के मालिक नहीं है , और हमें सिर्फ यह पृथ्वी रहने के लिए मिली हुई है जिसे हमें अपनी अगली पीढ़ियों को सौंपना पड़ेगा। हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम पृथ्वी के संसाधनों का उपयोग बहुत संभल कर और भविष्य को सोचकर करें। यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छा और स्वच्छ वातावरण प्रदान करें।


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