मंगलवार (6 august 2020) सायंकाल छह बजे लेबनॉन की राजधानी बेरूत के बंदरगाह पर स्थित गोदाम से मशरुम रूपी विशालकाय बादल आसमान को छूने लगते हैं और कुछ क्षण बाद एक भयानक धमाका होता है। जिसे देख कर समस्त मानव जाति का हृदय भय से कम्पित हो जाता है , भाव और करुणा से भर जाता। जब में यह लेख लिख रहा हूँ, तब तक इस धमाके से लगभग 160 लोग मारे जा चुके हैं और 4000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह धमाका इतना बड़ा था की इसके केंद्र से लगभग 10 किलोमीटर तक इमारतों और घरों की खिड़कियां टूट गयी, फर्नीचर तक टूट गया, गाड़ियाँ उलट गयी , और लगभग 200 किलोमीटर तक लोगों ने इसके द्वारा कंपन को महसूस किया। इस घटना का वीडियो आप यूट्यूब पर आसानी से देख सकते हैं। परन्तु प्रश्न यह उठता है कि यह धमाका कैसे हुआ और यह इतना विध्वंशकारी क्यों साबित हुआ।
रासायनिक यौगिक जिसे इस विस्फोट के लिए जिम्मेदार माना जाता है वह अमोनियम नाइट्रेट (NH4NO3) है। तो, यह अमोनियम नाइट्रेट क्या है? यह वह यौगिक है जो आमतौर पर कृषि उर्वरकों और खनन के विस्फोटक में उपयोग किया जाता है। लेबनान के राष्ट्रपति मिशेल एउन के अनुसार, पिछले 6 वर्षों से 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट (NH4NO3) गोदाम में बिना किसी सुरक्षा उपाय के संग्रहीत किया गया था।
चलो पहले अमोनियम नाइट्रेट (NH4NO3) के रसायन विज्ञान के बारे में थोड़ा बात करते हैं। हम अमोनियम नाइट्रेट के सूत्र संरचना से आसानी से देख सकते हैं कि इसमें एनएच 4 है जो अमोनियम भाग से बना है और दूसरा NO3– है जो नाइट्रेट वाला हिस्सा है। अनुकूल भंडारण स्थिति के तहत ये दो अणु NH4+ और NO3– एक दूसरे को हानिरहित गले में खींचते हैं। लेकिन जब इस कंपाउंड में एक चिंगारी या आग लगती है तो ये दो अणु आपस में एक दूसरे से संपर्क करते हैं और बहुत सारी ऊर्जा छोड़ते हैं। रसायन विज्ञान हमें बताता है कि अमोनियम हाइड्रोजन की तरह है जो ईंधन के रूप में कार्य कर सकता है और नाइट्रेट एक ऑक्सीजन की तरह है जो ऑक्सीडाइज़र के रूप में कार्य करता है। इसलिए, जब अग्नि अमोनियम नाइट्रेट के साथ संपर्क करती है तो अमोनियम ईंधन के रूप में कार्य करता है, और नाइट्रेट ऑक्सीकारक के रूप में आग लगाने के लिए अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है। और साथ में यह विनाश के लिए एकदम सही नुस्खा बनाते हैं। इसीलिए जब हम अमोनियम नाइट्रेट से उर्वरक बनाते हैं, तो हम इसकी दहनशीलता को कम करने के लिए बड़ी मात्रा में अन्य यौगिकों को मिलाते हैं।
अब तक हम स्पष्ट रूप से यह नहीं जानते हैं कि इस घटना में अमोनियम नाइट्रेट कैसे प्रज्वलित हुआ। इस घातक विनाश के होने की दो संभावनाएँ हो सकती हैं। पहली संभावना यह है कि, किसी तरह गोदाम की आग अमोनियम नाइट्रेट के साथ सम्पर्क में आयी। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि अमोनियम नाइट्रेट अपेक्षाकृत स्थिर यौगिक है जो 170 डिग्री सेल्यिस पर पिघलता है। तो, सवाल यह उठता है कि अमोनियम नाइट्रेट ने प्रज्वलित होने के लिए इतना तापमान कैसे प्राप्त किया? तो इसका उत्तर यही हो सकता है की किसी तरह गोदाम में लगी आग अमोनियम नाइट्रेट के संपर्क में आयी हो और लगातार हुई रासायनिक क्रियाओं की वजह से यह विध्वंशकारी धमाका हुआ हो। तो, दूसरी संभावना यह हो सकती है कि चूंकि यह रासायनिक यौगिक पिछले 6 वर्षों से गोदाम में बिना किसी सुरक्षा उपाय के संग्रहीत था, इसलिए अनुचित और प्रतिकूल भंडारण की स्थिति के कारण यौगिक दूषित हो गया हो। और रसायन विज्ञान बताता है कि संदूषण के कारण यौगिक के गलनांक में कमी आती है, तो यह कारण हो सकता है कि इतने कम तापमान पर इस रासायनिक यौगिक में ज्वलनशील रासायनिक क्रियाएं शुरू हो गयी हों और जिसके परिणामस्वरूप यह विध्वंशकारी धमाका हुआ हो।
अमोनियम नाइट्रेट और इसके जैसे अन्य रसायनों का आयात निर्यात भारी मात्रा में समस्त विश्व में समुद्री जहाज़ों के द्वारा किया जाता है। परन्तु कभी भी हमने ऐसे विस्फोट के बारे में नहीं सुना। अब यह प्रश्न उठता है कि यह धमाका इतना विनाशकारी क्यों साबित हुआ? अमोनियम नाइट्रेट का ज्वलन बंद जगह में नहीं होना चाहिए। परन्तु यहां पर रसायानिक यौगिक बंद गोदाम में बिना किसी उचित संरक्षण के पड़ा था। जिस कारण जब यौगिक में रासायनिक क्रियाएं शुरू हुई तब उस स्थान पर उष्मा और गैसों जैसे नॉक्स गैसें (NOx), नाइट्रिक एसिड (HNO3) का दवाब बनना शुरू हो गया , और यह उष्मा और दवाब यौगिक क्रियाओं में तेजी लाता है। जिसके परिणाम स्वरूप यह विनाशकारी धमाका हुआ। अमोनियम नाइट्रेट का विस्फोट क्षेत्र में तेजी से दबाव का कारण बना। हम विज्ञान से जानते हैं कि उच्च-दाब क्षेत्र से निम्न-दाब क्षेत्र तक प्रत्येक गैस प्रवाहित होती है, पवन प्रवाह के पीछे भी यही कारण है। इस दबाव के परिणामस्वरूप सुपरसोनिक दबाव तरंगों का बहिर्वाह होता है। और यही कारण था कि इमारतों को क्षति पहुंची, गाड़ियाँ निकट स्थानों में पलट जाती हैं और धमाके के द्वारा उत्पन्न कंपन कई किलोमीटर दूर तक महसूस किया गया।
शोधकर्ताओं की एक टीम ने विस्फोट की छवियों और फुटेज का विश्लेषण किया और अनुमान लगाया कि विस्फोट हाल के वर्षों में सबसे बड़ा गैर-परमाणु विस्फोट था। उन्होंने इसकी ताकत का अनुमान लगभग 1000-1500 गुना टीएनटी के बराबर और हिरोशिमा विस्फोट की तीव्रता का लगभग 10% लगाया। इस विस्फोट में बहुत लोग मारे जा चुके हैं और सम्पत्ति का भी भारी नुक्सान हुआ है। अभी स्थिति ये है की लेबनॉन में खाने की वश्तुओं के कमी हो गयी है क्योंकि लेबनॉन के सबसे अधिक खाद्य भंडार बेरूत बंदरगाह पर थे और इस विस्फोट के कारण वे सब नष्ट हो गये है।
तो अब इन्सानियत के नाते सभी देशों का यही धर्म बनता है की वे लेबनॉन की इस मुश्किल घडी से निकलने में मदद करें। और समस्त विश्व को इस घटना से बहुत कुछ सीखने की ज़रुरत है। रसायनों के रख रखाव की नियमावली में साफ साफ कहा गया है कि रसायनों को कभी भी बहुत अधिक मात्रा में एक स्थान पर न रखें, रसायनों का भंडार मनुष्य बस्ती से एक उचित दूरी पर होना चाहिए , किसी भी रसायन को भंडार रखने के लिए उसके उपयुक्त जलवायु होनी चाहिए। हमने पाया की इस पूरे घटना क्रम में रसायनों के रख रखाव की नियमावली की पूरी तरह धज्जियाँ उड़ाई गयी थी जिस कारण यह विध्वंशकारी परिणाम सामने आया। लेकिन अब सभी देशों को उनके रसायन भंडारों का उचित निरीक्षण करना चाहिए ताकि इस तरह की किसी भी घटना को निकट भविष्य में होने से रोका जा सके।
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